LakshmiAnushthan 2024

जानिए लक्ष्मी अनुष्ठान का महत्व – LakshmiAnushthan 2024

LakshmiAnushthan 2024 गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की संपूर्ण भौतिक संपदा की अधिष्ठात्री देवी माता महालक्ष्मी हैं। इस पूरे विश्व का आधार महालक्ष्मी है। आदिदेव भगवान विष्णु की आधारभूत शक्ति और दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या माता मां कमला महाविद्या महालक्ष्मी हैं। इस त्रिकोणात्मक स्वरूप में भगवती लक्ष्मी देवी के रूप में संपूर्ण विश्व में वंदनीय हैं और त्रिशक्तियों में से एक मां लक्ष्मी के बिना यह जगत और संसार अधूरा है। आज क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि अगर हमारे जीवन में लक्ष्मी का वास हो तो क्या हम कुछ भी करने में समर्थ हैं। हमें एक एक पैसे के लिए मोहताज हो जाना पड़ता है और एक एक चीज के लिए हम मोहताज हो सकते हैं। तो माता महालक्ष्मी का स्वरूप इतना भव्य विशाल और हर व्यक्ति के लिए बहुत ही आवश्यक है। आज के परिवेश में कहे तो मां लक्ष्मी के बिना हमारा जीवन बिल्कुल अधूरा है। तो आज हम आपको बताने वाले है माता महालक्ष्मी के महा अनुष्ठान और व्रत के बारे में। आज हम आपको पूरे व्रत की विधि के बारे में बताएँगे। इस व्रत को कैसे किया जाएगा ये व्रत कितने दिन तक का होगा। कब आने वाला है और इसके उद्यापन विधि क्या होगी इसकी संपूर्ण जानकारी आपको देंगे |  LakshmiAnushthan 2023

लक्ष्मी अनुष्ठान कब मनाया जाता है 

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार ये व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी जिसे हम राधाष्टमी कहते हैं तबसे शुरू होता है और सोलह दिन तक यह व्रत चलता है | इस साल लक्ष्मी अनुष्ठान का पर्व 11 सितम्बर 2024 से 24 सितम्बर 2024 तक मनाया जायेगा 

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी जिसे हम श्राद्ध पक्ष की अष्टमी कहते हैं तब तक यह व्रत चलता है। कई बार आप तिथि के बढ़ने और घटने की वजह से ही ये 15 या 17 दिन का भी होता है परन्तु आपको ध्यान रखना है कि राधाष्टमी से इस व्रत को शुरू करना और उसके बाद श्राद्ध पक्ष के साथ साथ पक्ष के कृष्ण पक्ष की यानी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक इस व्रत को करना है वो उसका अन्तिम दिन होगा सोलह दिन का ये जो अनुष्ठान है ये महालक्ष्मी का व्रत है ये बहुत ही महत्वपूर्ण है।  LakshmiAnushthan 2024

 लक्ष्मी अनुष्ठान का महत्व 

कहते हैं इन सोलह दिनों में माँ लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था और अष्ट लक्ष्मी स्वरूप में वे इस जगत में विद्यमान हुई थीं तो इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ये केवल हमारी आर्थिक उन्नति आर्थिक संपन्नता को बढ़ाने वाला व्रत ही नहीं है। हमारे जीवन में हमारे सभी कष्टों को दूर करने वाला सुख सौभाग्य समृद्धि ऐश्वर्य प्रसिद्धि और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत है।

वैसे सभी लोग जानते हैं कि दीपावली पर हम माता लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना करते हैं और दीपावली को सबसे बड़ा मां लक्ष्मी का दिन मानते हैं। परंतु ये जो सोलह दिन हैं ये दीपावली से भी अधिक महत्व के दिन मां लक्ष्मी के माने जाते हैं तो इस व्रत को राधाष्टमी से आपको शुरू करना है और राधाष्टमी से लेकर आपको अशोका अष्टमी तक इस व्रत को करना है | अशोक अष्टमी इस व्रत का लास्ट दिन होता है। LakshmiAnushthan 2024

व्रत करते समय रखे इन बातो का ख्याल 

इस व्रत में उपवास रखा जाता है भोजन ग्रहण नहीं किया जाता यानी आप फलाहार दूध मिठाई दूध से बने हुए और सगार के जो सामग्री है उसे आप ग्रहण कर सकते हैं।

यदि आप उपवास करने में असमर्थ हैं तो भी इन सोलह दिनों में मां लक्ष्मी का अनुष्ठान आपको जरूर करना चाहिए उनकी पूजा आराधना आपको जरूर करनी चाहिए। ये स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है। इस व्रत को भी स्त्री या पुरुष दोनों कर सकते हैं।

कोई भी व्यक्ति इस अनुष्ठान से जुड़ सकता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है। यदि आप सोलह दिन व्रत करने में असमर्थ हैं तो आपको प्रथम दिन अष्टम दिन और 16वें दिन यानि पहले दिन अंतिम को दिन और बीच में आठवें दिन इन तीन दिनों में तो तीन दिनों के व्रत तो आपको जरूर करने चाहिए। ये अनुष्ठान राधाष्टमी को शुरू होता है |   LakshmiAnushthan 2024

माता महालक्ष्मी के महा अनुष्ठान और व्रत की विधि

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है  कि प्रथम दिन आपको क्या करना है। सबसे पहले तो आपको पानी में थोड़ी सी दूर्वा मिलानी है और दूर्वा से आपको स्नान करना है।  

उसके बाद में आपको माता मां लक्ष्मी के सामने बैठकर अक्षत जल और पुष्प हाथ में लेकर और मां लक्ष्मी के सामने संकल्प छोड़ना है कि आप सोलह दिनों तक मां लक्ष्मी का यह अनुष्ठान करेंगे। इसके लिए आप प्रतिबद्ध हैं।

उसके बाद में शाम के समय में मां लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है।

प्रथम दिन आपको क्या करना चाहिए मातृका कोई स्थापित करें सोलह माता जिसमें आपकी कुलदेवी है उसको स्थापित करें। नौ ग्रह स्थापित करें और एक कलश जो कि रूद्र कलश माना जाता है उसे आप स्थापित करें और अष्टदल परम भगवती को विराजमान जरुर करें।

अब ये अष्टदल आप केसर चंदन के द्वारा भी बना सकते हैं और चावल के द्वारा भी इस अष्टदल का आप आसानी से निर्माण कर सकते हैं।

उसके बाद में मां लक्ष्मी की मूर्ति को के ऊपर स्थापित करना है | सभी देवी देवताओं का आपको आह्वान करना है और फिर मां लक्ष्मी का विधि विधान से पूजन करना है | 

मां लक्ष्मी की मूर्ति के पास आपको ध्यान रखना है कि जो भी आपके पास में मां लक्ष्मी के प्रतीक हैं उन सभी को आपको जरूर स्थापित करना है।

अगर आपके घर में श्रीयंत्र नहीं है तो श्रीयंत्र को जरूर लें और श्रीयंत्र को जरूर स्थापित करें क्योंकि माता लक्ष्मी को श्रीयंत्र अतिप्रिय है और लक्ष्मी का निवास स्थान श्रीयंत्र माना गया है इसीलिए श्रीयंत्र स्थापित करें।

अगर आपके पास में लक्ष्मी चरण पादुका है तो लक्ष्मी चरण पादुका स्वास्तिक पीली कोठी, सफेद कोड़ी, हल्दी की गांठ, कमल गट्टे की माला, स्फटिक की माला, दक्षिणावर्ती शंख जो भी प्रतीक आपके पास में मां लक्ष्मी के हो उन सबको मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने आप स्थापित कर दें |

उसके बाद में विधिविधान से मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करें। सभी देवी देवताओं का आह्वान करने के बाद में भगवती लक्ष्मी पर पंचोपचार पूजा के द्वारा पंचामृत के द्वारा अभिषेक करके मां लक्ष्मी का भी आह्वान करें और उसके बाद पुरुष सूक्त का पाठ कर सकते हैं श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं लक्ष्मी सूक्त का पाठ कर सकते हैं क्योंकि भगवान विष्णु के बिना मां लक्ष्मी ठहरती नहीं है क्योंकि उनकी बारी आए पति के बिना पत्नी कैसे ठहरेगी। इसीलिए पुरुष सूक्त का पाठ विशेष आवश्यक है।

पुरुष सूक्त लक्ष्मी श्री सूक्त का पाठ करें और कनकधारा स्त्रोत का भी पाठ आपको इन दिनों के दौरान जरुर करना चाहिए। इन 16 दिनों के दौरान नियमित रूप से करना चाहिए। LakshmiAnushthan 2024

यदि महिलाएं हैं जिनको पीरियड्स की प्रॉब्लम रहती है तो उस समय भी अगर आपने यह काम शुरू कर दिया है तो आपको व्रत जरूर करना है। व्रत बीच में छोड़ा नहीं जाता इस बात का आपको ध्यान रखना है तो ये संस्थान आपको करना है। पूजन विधि आपको फॉलो नहीं करनी है | पूजा आप नहीं कर सकते वो आप अपने घर के किसी महिला को या किसी अन्य सदस्य को आप पूजा करने के लिए कह सकते हैं परंतु व्रत बीच में आपको नहीं तोड़ना है।

उसके बाद में आपको विधि विधान से 16 दिन तक मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करनी है और लास्ट दिन जब अशोकाअष्टमी यानि श्राद्ध पक्ष की अष्टमी यानि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन आपको इसका उद्यापन करना है |

अब उद्यापन में आपको केवल 16 चीजों को आपको उद्यापन में रखना है। 16 सुहाग का सामान हो सकता है | सुहागिनों के श्रंगार की चीजें हो सकती है या फिर एक सुहाग छाबड़ा के अंदर सोलह प्रकार के सुहाग के श्रृंगार के सामान को आप एक थाली में रखकर उसके ऊपर दूसरी थाली डालकर और उस दिन निर्मित खीर का नैवेद्य जरूर बनाएं। 

वैसे भी इस अनुष्ठान के दौरान रोज मां लक्ष्मी को हलवे का खीर का जो भी आप घर में प्रसाद बना सकते हैं उस प्रसाद का या फिर मार्केट से भी आप दूध की कोई भी मिठाई लाकर मां लक्ष्मी को भोग लगा सकती है।

प्रतिदिन आपको मां लक्ष्मी को भोग जरूर लगाना है और इस दिन आपको मां लक्ष्मी को चूंकि खीर बहुत पसंद है इसीलिए खीर का नैवेद्य जरूर चढ़ाएं। उसके बाद में आप ब्राह्मणों को भोजन करवा सकती है और उसके बाद ही सुहाग का सामान है या एक आप किसी सुहागिन को दे सकती है और या फिर आप सोलह चीजें सोलह सुहागिनों को दे सकती हैं।

 अगर ब्राह्मणों को भोजन कराने में असमर्थ है या फिर आपको ब्राह्मण नहीं मिल रहा तो आपको अब भोजन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जरूर इस उद्यापन के दिन दान कर देना चाहिए।

इस प्रकार इस अनुष्ठान को आप संपन्न करके देखिएगा महालक्ष्मी की कृपा कैसे आप पर बरसेगी और आर्थिक सम्पन्नता आपके जीवन में आ जाएगी आपके जीवन में कई प्रकार के कष्ट दूर होंगे।

इस अनुष्ठान के दौरान हम अक्सर लक्ष्मी की पूजा आराधना करते हैं। अस्तु लक्ष्मी का आह्वान करते हैं। इसमें अधिस्तास्त्री देवी अधिस्तास्त्री लक्ष्मी संतान लक्ष्मी गजलक्ष्मी वीर लक्ष्मी ऐश्वर्य लक्ष्मी आदि लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी इन अस्त्र लक्ष्मी की भी पूजा आराधना की जाती है।

अगर आपके पास में अष्ट लक्ष्मी चौंकी हो तो आप इसे   पूजा के दौरान जरूर अपनी पूजा के स्थान पर रखें जिससे आपको अष्ट लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा | 

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हर साल की भाँति इस साल भी 11 सितम्बर से 24 सितम्बर तक लक्ष्मी अनुष्ठान  का आयोजन किया जा रहा है लक्ष्मी अनुष्ठान से  सदैव माँ  लक्ष्मी की कृपा रहती है  तथा घर में सुख समृद्धि का वास होगा अगर आप भी माता लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते है तो इस लक्ष्मी अनुष्ठान में हिस्सा लेकर अपने नाम से पूजा  करवाए यह  अनुष्ठान गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही  अनुष्ठान में हिस्सा लेकर माता लक्ष्मी  का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे  एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप  करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे 

जल्द सम्पर्क करे :- 9929391753

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