Baglamukhi Jayanti 2025 - जानें पूजा मुहूर्त, अनुष्ठान विधि और लाभ
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Baglamukhi Jayanti 2025 बगलामुखी जयंती: जानें पूजा मुहूर्त, अनुष्ठान विधि और लाभ



Baglamukhi Jayanti 2025 : गुरु माँ निधि जी के अनुसार बगलामुखी माता दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। माँ का यह रूप शत्रुओं का नाश करता है और वाणी की शक्ति प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
बगलामुखी' शब्द का अर्थ है 'सारस', जो एक पक्षी है जो सांपों को नष्ट करने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

बगलामुखी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, " बगला" और " मुखी"। बगला शब्द वाग्ला (लगाम) का अपभ्रश है। बगला नाम तीन अक्षरों से मिलकर बना है। वा, गा, ला, 'वा' अक्षर वारुणी को, 'गा' अक्षर सिद्धिदा को और 'ला' अक्षर पृथ्वी को दर्शाता है। इसलिए माँ के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण उन्हें यह नाम मिला।

इन्हें माता पीताम्बरा भी कहा जता है
माता बगलामुखी देवी हिन्दू धर्म में दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहा जता है बगलामुखी देवी का प्रकट होने का स्थान गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। निधि जी श्रीमाली कहते है की वे हल्दी के रंग के जल से प्रकट हुई थीं। हल्दी के पीले रंग के कारण उन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। पीताम्बरा का अर्थ है, वह देवी जिसका संबंध पीले या सुनहरे रंग से है। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है, वो इन्हीं की वजह से है। माँ का यह स्वरूप देवी पार्वती का उग्र स्वरूप है और उनके इस रूप का मुकाबला सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी नहीं कर सकती है

बगलामुखी जयंती 2025 Baglamukhi Jayanti 2025 शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 04 मई को प्रातः 07 बजकर 18 मिनट पर प्रारंभ होगी और अगले दिन, 05 मई को प्रातः 07 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी.

माँ बगलामुखी की उत्पत्ति की कथा
कथाओं के अनुसार, सतयुग में एक बार सम्पूर्ण जगत को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया था। प्राणियों के जीवन पर संकट को देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गये। वे हरिद्रा सरोवर के पास जाकर  देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। विष्णु से प्रसन्न होकर, देवी प्रकट हुईं और झील से अपने स्वरूप बगलामुखी को प्रकट किया तथा विध्वंसकारी तूफान तुरंत रोका था। चतुर्दशी की अर्धरात्रि में ये अस्तित्व में आई थीं। श्री बगलामुखी को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। Baglamukhi Jayanti 2025

माँ बगलामुखी का स्वरूप
माँ अपने यौवन रूप में हैं और पीले रंग की साड़ी धारण करती हैं। वे सोने के सिंहासन पर विराजती हैं और उनके तीन नेत्र और चार हाथ हैं। उन्होंने सोने के मुकुट और आभूषण धारण कर रखे हैं। उनकी कांति गोरी और स्वर्ण जैसी है। एक राक्षस मातारानी के सामने उनके चरणों में बैठा हुआ है, जिसने अपने एक हाथ में तलवार पकड़ी हुई है। मातारानी ने उसी राक्षस की जीभ पकड़ी हुई है।

तीन ही शक्तिपीठ हैं-
भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए

हैं जो क्रमशः दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। Baglamukhi Jayanti 2025

माँ बगलामुखी की साधना
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार साधक पीले वस्त्र धारण करें हल्दी की माला से मनोकामना/कष्ट निवारण के लिए जप करें। इस मंत्र का जप 1100 बार करना चाहिए। मंत्र- ऊँ ह्रीं बगलामुखि सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय हृीं ऊँ स्वाहा।। मंत्र- ऊँ श्री हृीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि-देहि स्वाहा

माँ बगलामुखी की साधना से लाभ
माता की उपासना वाणी की सिद्धी तथा शत्रुओं पर विजय पाने के लिए की जाती है। उनका ये रूप दुष्टों की जिव्हा को पकड़ कर उन पर लगाम लगाने का काम करता है। बगलामुखी माता की फोटो में भी उन्हें दुष्ट की जीभ पकड़े हुए ही दिखाया गया है। देवी बगलामुखी जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं, विपत्तियों और शत्रुओं से मुक्ति देती हैं। इस देवी की उपासना से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इनकी आराधना से पहले हरिद्रा गणपति की आराधना अवश्य करनी चाहिए, वरना इनकी साधना पूर्ण रूप से फलीभूत नहीं हो पाती है। इसके लिए बगलामुखी मंत्र के जाप से पहले बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।

बगलामुखी अनुष्ठान

बगलामुखी अनुष्ठान एक ऐसी प्रथा है जो देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह काले जादू और नकारात्मकता के नरुचरात्मक प्रभावों को दूर करने में विशेष रूप से प्रभावी है।

अनुष्ठान एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "अभ्यास"। इसे "संस्कार" या "समारोह के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस शब्द का इस्तेमाल व्यक्तिगत स्वच्छता से लेकर देवताओं की पूजा तक की कई गतिविधियों को दशनि के लिए किया जाता है।

बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं, देवियों का एक समूह जिन्हें दिव्य माँ काली का रूप माना जाता है। उन्हें 'स्वेच्छाचारी नेताओं को कुचलने वाली के रूप में जाना जाता है. और उनके नाम का अर्थ है "वह जो जीभ को लकवाग्रस्त कर देती है।अनुष्ठान में मंत्रों का जाप, प्रसाद चढ़ाना और विशेष वस्त्र पहनना शामिल है। यह आमतौर पर लोगों के एक समूह द्वारा किया जाता है, और यह कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक चल सकता है।

बगलामुखी अनुष्ठान के लाभ अनेक एवं विविध हैं
बगलामुखी अनुष्ठान करना एक तांत्रिक अनुष्ठान है जो देवी बगलामुखी का आह्वान करने के लिए किया जाता है।यह अनुष्ठान एक योग्य साधक द्वारा किया जाता है, जिसने बगलामुखी मंत्र की दीक्षा ली हो।

अनुष्ठान में शक्तिशाली मंत्रों, यंत्रों और मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है, जिनका उपयोग देवी का आह्वान करने के लिए किया जाता है।ऐसा माना जाता है कि देवी बगलामुखी में अपने शत्रुओं की जीभ, मन और शरीर को पंगु बनाने की शक्ति है।यह अनुष्ठान 1-9 दिनों की अवधि के लिए किया जाता है, और गुरु माँ निधि जी बताते है कि इस दौरान देवी स्वयं साधक को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

बगलामुखी अनुष्ठान कैसे करें: चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका

गुरु माँ निधि जी बताते है की बगलामुखी अनुष्ठान एक प्राचीन वैदिक अनुष्ठान है जिसका उपयोग ग्रहों और तारों के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने के लिए किया जाता है।बगलामुखी अनुष्ठान विभिन्न प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है, जैसे स्वास्थ्य में सुधार, धन और सफलता प्राप्त करना, या शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना।

काले जादू और बुरी आत्माओं से सुरक्षा के लिए भी अनुष्ठान करना संभव है।

अनुष्ठान में कुछ विशेष मंत्रों का प्रयोग किया जाता है, जिनका उच्चारण विशिष्ट कार्य करते समय किया जाता है।अनुष्ठान के दौरान कुछ वस्तुओं का उपयोग करना भी आवश्यक है, जैसे शंख, घी का दीपक, पवित्र धागा आदि।यह अनुष्ठान कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे उसकी आयु, लिंग या जाति कुछ भी हो।हालाँकि, अनुष्ठान को सही ढंग से करने के लिए किसी योग्य पंडित या पुजारी का मार्गदर्शन लेना उचित है।

बगलामुखी अनुष्ठान के विभिन्न प्रकार

36,000 मंत्र जाप अनुष्ठान

51,000 मंत्र-आप अनुष्ठान
सवा लाख मंत्र जाप अनुष्ठान

6 लाख मंत्र जाप अनुष्ठान

11 लाख मंत्र जाप अनुष्ठान

21 लाख मंत्र जाप अनुष्ठान

36 लाख मंत्र जाप अनुष्ठान

बगलामुखी मंत्रः 

 

बगलामुखी मंत्र एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है जिसका उपयोग सुरक्षा के साथ-साथ नकारात्मक शक्तियों और ऊर्जाओं को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।माता बगलामुखी के कई मंत्र हैं, जिसका अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जाप किया जाता है।

बगलामुखी साधना मंत्र

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः॥

बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र

ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु॥

बगलामुखी ध्यान मंत्रॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा॥
गुरु माँ निधि जी के अनुसार इस मंत्र को 'स्तम्भन मंत्र' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'रोकना। बगलामुखी मंत्र को काला जादू, बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने में बहुत प्रभावी माना जाता है।इसे शत्रुओं, बाधाओं और समस्याओं पर विजय पाने में भी सहायक बताया गया है।

बगलामुखी मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है, इसका जाप अत्यंत सावधानी एवं श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए।

 


बगलामुखी अनुष्ठान के लाभ
बगलामुखी अनुष्ठान करना एक तांत्रिक अनुष्ठान है जो देवी बगलामुखी का आह्वान करने के लिए किया जाता है।यह अनुष्ठान एक योग्य साधक द्वारा किया जाता है, जिसने बगलामुखी मंत्र की दीक्षा ली हो।

अनुष्ठान में शक्तिशाली मंत्रों, यंत्रों और मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है, जिनका उपयोग देवी का आह्वान करने के लिए किया जाता है।ऐसा माना जाता है कि देवी बगलामुखी में अपने शत्रुओं की जीभ, मन और शरीर को पंगु बनाने की शक्ति है।यह अनुष्ठान 1-9 दिनों की अवधि के लिए किया जाता है, और गुरु माँ निधि जी बताते है कि इस दौरान देवी स्वयं साधक को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

युद्ध में दिलाती है विजय :
युद्ध में विजय दिलाने और वाक् शक्ति प्रदान करने वाली देवी - गुरु माँ निधि जी श्रीमाली कहते है की माता बगलामुखी की साधना युद्ध में विजय होने और शत्रुओं के नाश के लिए की जाती है। इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। कहते हैं कि नलखेड़ा में कृष्ण और अर्जुन ने महाभारत के युद्ध के पूर्व माता बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण की प्रेरणा पर अर्जुन ने कई जगह जाकर शक्ति की साधना की थी। उनकी साधना के वरदान स्वरूप शक्ति के विभिन्न रूपों ने पांडवों की मदद की थी। उन्हीं शक्ति में से एक माता बगलामुखी भी साधना भी की थी। कहते हैं कि युद्ध में विजय की कामना से अर्जुन और श्रीकृष्ण ने उज्जैन में हरसिद्ध माता और नलखेड़ा में बगलामुखी माता का पूजन भी किया था। वहां उन्हें युद्ध में विजयी भव का वरदान मिला था।

अगर आप भी है अज्ञात शत्रुओ से परेशान और आ रही है सभी काम में रुकावट तो आप भी जुड़िये माँ बगलामुखी शत्रु विनाशक पूजा से जो होने जा रही है 5  मई 2025  को हमारे जोधपुर स्थित संस्थान में तो अभी कॉल करे और बुक करवाए अपनी पूजा
9929391753
9571122777 

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