Akshay Tritiya 2025 : अक्षय तृतीया: धन, सफलता और समृद्धि पाने के उपाय
Akshay Tritiya 2025

Akshay Tritiya 2025 : गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार हर साल वैशाख माह, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है । अक्षय तृतीया पर खरीदारी के साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व रहता है । इस दिन कई लोग सोना या चांदी खरीदते हैं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया पर स्नान-दान, खरीदारी, व भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन करना पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन कई लोग सोना या चांदी भी खरीदते हैं, जिसके लिए मुहूर्त देखा जाता है। वैसे अक्षय तृतीया को ज्योतिष में स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है। अतः इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जाता है।


29 या 30 अप्रैल अक्षय तृतीया कबः पंचांग अनुसार, वैशाख, शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि अप्रैल 29, 2025 को शाम 05:31 बजे प्रारम्भ होगी और अप्रैल 30, 2025 को दोपहर 02:12 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। Akshay Tritiya 2025

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त:
05:41 ए एम से 12:18 pm

अवधि – 06 घण्टे 37 मिनट्स

अक्षय तृतीया के साथ व्याप्त शुभ चौघड़िया मुहूर्त

सायाह्न मुहूर्त (लाभ) 08:16 पी एम से 09:37 पी एम

रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)- 10:57 पी एम से 03:00 ए एम, अप्रैल 30

अप्रैल 30, 2025 को सोने की खरीदारी का शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय 05:41 ए एम से 02:12 पी एम

अवधि – 08 घण्टे 30 मिनट्स

अक्षय तृतीया के साथ व्याप्त शुभ चौघड़िया मुहूर्त

प्रातः मुहूर्त (शुभ)- 10:39 ए एम से 12:18 पी एम

प्रातः मुहूर्त (लाभ, अमृत)- 05:41 ए एम से 09:00 ए एम

पूजा-विधिः
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन अक्षत, पुष्प, दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी की आराधना से विशेष कृपा बनी रहती है। संतान भी अक्षय बनी रहती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सामर्थ्य अनुसार जल, अनाज, गन्ना, दही, सत्तू, सुराही, हाथ से बने पंखे आदि दान करने से विशेष फल मिलता है। Akshay Tritiya 2025

अक्षय तृतीया का महत्वः

गुरु माँ निधि जी बताते है की अक्षय तृतीया के दिन विष्णु भगवान के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस दिन गंगा मइया धरती पर अवतरित हुई थी। सतयुग, द्वापर और त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इसी दिन से शुरू होती है। इसी दिन बद्रीनाथ के पट खुलते हैं और वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार होते हैं। अक्षय तृतीया में खरीदारी के साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व रहेगा।

इस दिन किस राशि के जातक को किन चीजों का दान करना चाहिए.

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली बताते है की अक्षय तृतीया के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं.
इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है, इस दिन किए गए जप, तप, दान और ज्ञान का श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है.
आइए जानते हैं गुरु माँ निधि जी के द्वारा कि इस दिन किस राशि के जातक को किन चीजों का दान करना चाहिए.


मेष राशि का स्वामीग्रह मंगल है. अक्षय तृतीया के दिन जौ या जौ से बने पदार्थ, सत्तू और गेहूं का दान करना चाहिए.

वृषभ राशि का स्वामीग्रह शुक्र है. अक्षय तृतीया के दिन ग्रीष्म ऋतु के फल, जल से भरी तीन मटकी और दूध का दान करना चाहिए.

मिथुन राशि का स्वामीग्रह बुध है. अक्षय तृतीया के दिन ककड़ी, खीरा, सत्तू और हरी मूंग का दान मंदिर में जाकर करना शुभ माना जाता है.

कर्क राशि का स्वामीग्रह चंद्रमा है. अक्षय तृतीया के दिन जल से भरी एक मटकी, दूध और मिश्री किसी साधु को दान करना चाहिए.

सिंह राशि का स्वामीग्रह सूर्य है. अक्षय तृतीया के दिन मंदिर में जाकर सत्तू,जौ और गेहूं में से किसी एक पदार्थ का दान करना चाहिए.

कन्या राशि का स्वामीग्रह बुध है. अक्षय तृतीया के दिन ककड़ी, खीरा और तरबूज का दान करना चाहिए.

तुला राशि का स्वामीग्रह शुक्र है. इस राशि के लोगों को इस शुभ दिन पर मजदूरों या राहगीरों को पानी पिलाना चाहिए. इसके साथ ही किसी गरीब व्यक्ति को जूते-चप्पल दान करना चाहिए.

वृश्चिक राशि का स्वामीग्रह मंगल है. अक्षय तृतीया के दिन किसी गरीब व्यक्ति को जल से भरा पात्र, छाता या पंखा दान करना चाहिए. इससे आप अपने कष्टों से राहत महसूस करेंगे.

धनु राशि का स्वामीग्रह गुरु है. इस दिन बेसन से निर्मित पदार्थ, चने की दाल, मौसमी फल या सत्तू में से किसी भी एक पदार्थ का दान करना चाहिए.

मकर राशि का स्वामीग्रह शनि है. अक्षय तृतीया के दिन जल से भरी मटकी, दूध और मीठे पदार्थ गरीबों को दान करना चाहिए.

कुंभ राशि का स्वामीग्रह शनि है. अक्षय तृतीया के दिन जल से भरा मटका, मौसमी फल और गेहूं किसी गरीब व्यक्ति को दान करना चाहिए.मीन राशि का स्वामीग्रह गुरु है. अक्षय तृतीया के दिन चार हल्दी की गांठ ब्राह्मण को दान स्वरूप देना चाहिए. बेसन से निर्मित पदार्थ और सत्तू मंदिर में दान करें.

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