जानिए भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग एवं उनका महत्व - 12 Jyotirlingas - Pandit NM Shrimali - Best Astrologer in India
12 Jyotirlingas

जानिए भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग एवं उनका महत्व – 12 Jyotirlingas

12 Jyotirlingas गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की सनातन परंपरा में भगवान शिव से जुड़े 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों की साधना-आराधना का अत्यंत महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रगट हुए, उन्हीं 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के न सिर्फ दर्शन करने पर शिव भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है बल्कि इनका महज प्रतिदिन नाम लेने मात्र से जीवन के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पूजा सभी तरह के लौकिक तथा परलौकिक सुख देने वाली है।  ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपने पूरें जीवन में एक बार शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है तो वह सभी दोषों से मुक्त होकर मृत्यु पश्चात मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। सौभाग्यशाली लोग ही अपने जीवन में शिव के 12 ज्योतिलिंगों के दर्शन कर पाते हैं।  12 Jyotirlingas

ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है? ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?

ज्योतिर्लिंग दो शब्दों से मिलकर बनता है ज्योति़लिंग। शिव प्रकाशमान ज्योति के रूप में प्रकट हुये थे। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार शिव साक्षात रुप में एक दिव्य ज्योति के रूप में साक्षात प्रकट हुये थे। यह धरती के 12 अलग-अलग स्थानों पर अपने विभिन्न रूपों में साक्षात विराजमान हुये थे। ज्योतिर्लिंग का अर्थ प्रकाश स्तंभ होता है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा को और भगवान विष्णु के बीच में यह बहस हुई कि कौन सर्वाेच्च देवता है। तभी भगवान शिव प्रकाश स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और प्रत्येक से इस प्रकाश स्तम्भ का अंत खोजने को कहा। भगवान विष्णु ऊपर की ओर भगवान ब्रह्मा नीचे की ओर इस ज्योतिर्लिंग का अंत खोजने के लिए चले गए। लेकिन फिर भी उन्हें इसका अंत नहीं मिला। उसके बाद में भगवान शिव ने प्रकाश स्तंभ को पृथ्वी पर गिरा दिया और आज उसे ही ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।

जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातः इन ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। जिस कामना की पूर्ति के लिए मनुष्य नित्य इन नामों का पाठ करता है, शीघ्र ही उस फल की प्राप्ति हो जाती है। इन लिंगों के दर्शन मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, यही भगवान शिव की विशेषता है। 12 Jyotirlingas

भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग निम्न  है 

1.) सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: गुजरात

पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मन्दिर गुजरात के (सौराष्ट्र) प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र के अन्तर्गत प्रभास में विराजमान हैं। इसी क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्णचन्द्र ने यदु वंश का संहार कराने के बाद अपनी नर लीला समाप्त कर ली थी। ‘जरा’ नामक व्याध (शिकारी) ने अपने बाणों से उनके चरणों (पैर) को भेद डाला था।  12 Jyotirlingas

2.) मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से लोगों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है।

3.) महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: उज्जैन, मध्य प्रदेश

तृतीय ज्योतिर्लिंग महाकाल या ‘महाकालेश्वर’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान मध्य प्रदेश के उज्जैन में है, जिसे प्राचीन साहित्य में अवन्तिका पुरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान महाकालेश्वर का भव्य ज्योतिर्लिंग विद्यमान है।

4.) ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: उत्तरी भारत

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है। ओंकारेश्वर स्थान भी मालवा क्षेत्र में ही पड़ता है।

5.) केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: उत्तराखंड

यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की चोटी पर विराजमान श्री ‘केदारनाथ’ जी का है। श्री केदारनाथ को ‘केदारेश्वर’ भी कहा जाता है, जो केदार नामक शिखर पर विराजमान है। इस शिखर से पूर्व  दिशा में अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान श्री बद्री विशाल का मन्दिर है। जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किए यदि बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है, तो उसकी यात्रा निष्फल अर्थात व्यर्थ हो जाती है।

6.) भीमशंकर ज्योतिर्लिंग: 

डाकिनी, महाराष्ट्रइस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘भीमशंकर’ है, जो डाकिनी पर अवस्थित है। यह स्थान महाराष्ट्र में मुम्बई से पूर्व तथा पूना से उत्तर की ओर स्थित है, जो भीमा नदी के किनारे सहयाद्रि पर्वत पर हैं। भीमा नदी भी इसी पर्वत से निकलती है। भारतवर्ष में प्रकट हुए भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंग में श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान हैं। 12 Jyotirlingas

7.) विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: 

काशी, उत्तर प्रदेशसप्तम ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान ‘विश्वनाथ’ को सप्तम ज्योतिर्लिंग कहा गया है। कहते हैं, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है। विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद के काशी नगर में अवस्थित है। इसे आनन्दवन, आनन्दकानन, अविमुक्त क्षेत्र तथा काशी आदि अनेक नामों से जाना जाता है। 12 Jyotirlingas

8.) त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: नासिक, महाराष्ट्र

 अष्टम ज्योतिर्लिंग को ‘त्र्यम्बक’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नासिक ज़िले में पंचवटी से लगभग अठारह मील की दूरी पर है। यह मन्दिर ब्रह्मगिरि के पास गोदावरी नदी कें किनारे स्थित है। इसे त्र्यम्बक ज्योतिर्लिंग, त्र्यम्बकेश्वर शिव मन्दिर भी कहते है। यहां ब्रह्मगिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी निकलती है। जिस प्रकार उत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली पवित्र नदी गंगा का विशेष आध्यात्मिक महत्त्व है, उसी प्रकार दक्षिण में प्रवाहित होने वाली इस पवित्र नदी गोदावरी का विशेष महत्त्व है।  12 Jyotirlingas

9.) वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: झारखण्ड

नवम ज्योतिर्लिंग ‘वैद्यनाथ’ हैं। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप में है। पुराणों में इस जगह को चिताभूमि कहा गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे ‘वैद्यनाथधाम’ कहा जाता है।

10.) नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: बड़ौदा, गुजरात

 नागेश नामक ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है। इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है। कुछ लोग दक्षिण हैदराबाद के औढ़ा ग्राम में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं, तो कुछ लोग उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित जागेश्वर शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग कहते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रान्त के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है 12 Jyotirlingas

11.) रामेश्वर ज्योतिर्लिंग: तमिलनाडु

एकादशवां ज्योतिर्लिंग ‘रामेश्वर’ हैं। रामेश्वरतीर्थ को ही सेतुबन्ध तीर्थ कहा जाता है। यह स्थान तमिलनाडु के रामनाथम जनपद में स्थित है। यहां समुद्र के किनारे भगवान रामेश्वरम का विशाल मन्दिर शोभित है। यह हिंदुओं के चार धामों में से एक धाम है। यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम ज़िले में स्थित है। मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप जहां भगवान् राम का लोकप्रसिद्ध विशाल मंदिर है। 12 Jyotirlingas 12 Jyotirlingas

12.) घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र

द्वादशवां ज्योतिर्लिंग ‘घृश्णेश्वर है। यह स्थान महाराष्ट्र क्षेत्र के अन्तर्गत दौलताबाद से लगभग अठारह किलोमीटर दूर ‘बेरूलठ गांव के पास है। इस स्थान को ‘शिवालय’ भी कहा जाता है। घृश्णेश्वर को लोग घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहते हैं। घृश्णेश्वर  से लगभग आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में एक पहाड़ की चोटी पर दौलताबाद का क़िला मौजूद है।

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